मिसाल-ए-सैल-ए-बला न ठहरे हवा न ठहरे
मिसाल-ए-सैल-ए-बला न ठहरे हवा न ठहरे
लगाए जाएँ हज़ार पहरे हवा न ठहरे
कहीं कहीं धूप छुप-छुपा कर उतर ही आई
दबीज़ बादल हुए इकहरे हवा न ठहरे
वरक़ जब उल्टे किताब-ए-मौसम दिखाए क्या क्या
गुलाब आरिज़ बदन सुनहरे हवा न ठहरे
वो साँस उमडी कि बे-हिसों ने ग़ज़ब में आ कर
गिरा दिए हब्स के कटहरे हवा न ठहरे
कभी बदन के रुएँ रुएँ में हवास उभरीं
कभी करे गोश होश बहरे हवा न ठहरे
उसी की रफ़्तार-ए-पा से उभरें नुक़ूश-ए-रंगीं
कहीं पे हल्के कहीं पे गहरे हवा न ठहरे
सदा-ए-हर-सू फ़लक के गुम्बद में गूँजती है
हवा न ठहरे हवा न ठहरे हवा न ठहरे
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