Heart Broken Poetry of Aftab Hussain
नाम | आफ़ताब हुसैन |
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अंग्रेज़ी नाम | Aftab Hussain |
जन्म स्थान | Austria |
वक़्त की वहशी हवा क्या क्या उड़ा कर ले गई
तिरे बदन के गुलिस्ताँ की याद आती है
खिला रहेगा किसी याद के जज़ीरे पर
जो कुछ निगाह में है हक़ीक़त में वो नहीं
चलो कहीं पे तअल्लुक़ की कोई शक्ल तो हो
अपने ही दम से चराग़ाँ है वगरना 'आफ़्ताब'
ये जब्र भी है बहुत इख़्तियार करते हुए
वो सर से पाँव तक है ग़ज़ब से भरा हुआ
शब-ए-सियाह पे वा रौशनी का बाब तो हो
क़दम क़दम पे किसी इम्तिहाँ की ज़द में है
निगाह के लिए इक ख़्वाब भी ग़नीमत है
मक़ाम-ए-शौक़ से आगे भी इक रस्ता निकलता है
किसी तरह भी तो वो राह पर नहीं आया
किसी नज़र ने मुझे जाम पर लगाया हुआ है
करता कुछ और है वो दिखाता कुछ और है
कमी रखता हूँ अपने काम की तकमील में
कहाँ किसी पे ये एहसान करने वाला हूँ
जब सफ़र से लौट कर आने की तय्यारी हुई
इस अँधेरे में जो थोड़ी रौशनी मौजूद है
गए मंज़रों से ये क्या उड़ा है निगाह में
फ़सील-ए-शहर-ए-तमन्ना में दर बनाते हुए
दिल भी आप को भूल चुका है
धूप जब ढल गई तो साया नहीं
देखे कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर के रंग भी
अस्ल हालत का बयाँ ज़ाहिर के साँचों में नहीं
अना को बाँधता रहता हूँ अपने शे'रों में