Ghazals of Aftab Hussain (page 1)
नाम | आफ़ताब हुसैन |
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अंग्रेज़ी नाम | Aftab Hussain |
जन्म स्थान | Austria |
ज़रा सी देर को चमका था वो सितारा कहीं
ये जब्र भी है बहुत इख़्तियार करते हुए
वो सर से पाँव तक है ग़ज़ब से भरा हुआ
तुम्हारे बाद रहा क्या है देखने के लिए
शब-ए-सियाह पे वा रौशनी का बाब तो हो
क़दम क़दम पे किसी इम्तिहाँ की ज़द में है
निगाह के लिए इक ख़्वाब भी ग़नीमत है
मुनाफ़िक़त का निसाब पढ़ कर मोहब्बतों की किताब लिखना
मक़ाम-ए-शौक़ से आगे भी इक रस्ता निकलता है
मैं सोचता हूँ अगर इस तरफ़ वो आ जाता
किसी तरह भी तो वो राह पर नहीं आया
किसी नज़र ने मुझे जाम पर लगाया हुआ है
करता कुछ और है वो दिखाता कुछ और है
कमी रखता हूँ अपने काम की तकमील में
कहाँ किसी पे ये एहसान करने वाला हूँ
कभी जो रास्ता हमवार करने लगता हूँ
जब सफ़र से लौट कर आने की तय्यारी हुई
इस अँधेरे में जो थोड़ी रौशनी मौजूद है
हर फूल है हवाओं के रुख़ पर खिला हुआ
गुज़रते वक़्त की कोई निशानी साथ रखता हूँ
घड़ी घड़ी उसे रोको घड़ी घड़ी समझाओ
गए मंज़रों से ये क्या उड़ा है निगाह में
फ़सील-ए-शहर-ए-तमन्ना में दर बनाते हुए
दिल भी आप को भूल चुका है
धूप जब ढल गई तो साया नहीं
देखे कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर के रंग भी
दे रहे हैं जिस को तोपों की सलामी आदमी
बस एक बात की उस को ख़बर ज़रूरी है
अस्ल हालत का बयाँ ज़ाहिर के साँचों में नहीं
अपना दीवाना बना कर ले जाए