ख़बर देती है याद करता है कोई
जो बाँधा है हिचकी ने तार आते आते
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Anwar Masood
Wasi Shah
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Habib Jalib
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(685) Peoples Rate This
हमारा कोह-ए-ग़म क्या संग-ए-ख़ारा है जो कट जाता
न हो या रब ऐसी तबीअत किसी की
मुझे गुम-शुदा दिल का ग़म है तो ये है
फ़लक उन से जो बढ़ कर बद-चलन होता तो क्या होता
वही जो हया थी निगार आते आते
तुम्हारे हिज्र में क्यूँ ज़िंदगी न मुश्किल हो
कुछ भी नहीं जो याद-ए-बुतान-ए-हसीं नहीं