तुम्हारे हिज्र में क्यूँ ज़िंदगी न मुश्किल हो

तुम्हारे हिज्र में क्यूँ ज़िंदगी न मुश्किल हो

तुम्हीं जिगर हो तुम्हीं जान हो तुम्हीं दिल हो

अजब नहीं कि अगर आईना मुक़ाबिल हो

तुम्हारी तेग़-ए-अदा ख़ुद तुम्हारी क़ातिल हो

न इख़्तिलाफ़-ए-मज़ाहिब के फिर पड़ें झगड़े

हिजाब अपनी ख़ुदी का अगर न हाइल हो

तुम्हारी तेग़-ए-अदा का फ़साना सुनता हूँ

मुझे तो क़त्ल करो देखूँ तो कैसे क़ातिल हो

हमारी आँख के पर्दे में तुम छुपो देखो

तुम्हारी ऐसी हो लैला तो ऐसा महमिल हो

ये अर्ज़ रोज़-ए-जज़ा हम करेंगे दावर से

कि ख़ूँ-बहा मैं हमारे हवाले क़ातिल हो

इसी नज़र से है नूर-ए-निगाह मद्द-ए-नज़र

मुझे हबीब का दीदार ता-कि हासिल हो

हबीब क्यूँ न हो सूरत भी अच्छी सीरत भी

हर एक अम्र में तुम रश्क-ए-माह-ए-कामिल हो

ग़ज़ब ये है कि अदू का झूट सच ठहरे

हम उन से हक़ भी कहें तो गुमान-ए-बातिल हो

मज़ा चखाऊँ तुम्हें इस हँसी का रोने पर

ख़ुदा करे कहीं तुम दिल से मुझ पे माइल हो

तुम्हारे लब तो हैं जान-ए-मसीह ओ आब-ए-बक़ा

ये क्या ज़माने में मशहूर है कि क़ातिल हो

तुम्हारी दीद से सैराब हो नहीं सकता

कि शक्ल-ए-आइना मुँह देखने के क़ाबिल हो

इसी रफ़ीक़ से ग़फ़लत है आह ऐ 'अफ़सर'

तुम्हारे काम से जो एक दम न ग़ाफ़िल हो

(991) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tumhaare Hijr Mein Kyun Zindagi Na Mushkil Ho In Hindi By Famous Poet Afsar Allahabadi. Tumhaare Hijr Mein Kyun Zindagi Na Mushkil Ho is written by Afsar Allahabadi. Complete Poem Tumhaare Hijr Mein Kyun Zindagi Na Mushkil Ho in Hindi by Afsar Allahabadi. Download free Tumhaare Hijr Mein Kyun Zindagi Na Mushkil Ho Poem for Youth in PDF. Tumhaare Hijr Mein Kyun Zindagi Na Mushkil Ho is a Poem on Inspiration for young students. Share Tumhaare Hijr Mein Kyun Zindagi Na Mushkil Ho with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.