समय

मेरे सामने

कई कौंधती तलवारें टूटीं

देखते देखते

कई सूरमा शहीद हुए

ख़िरद-ओ-जुनूँ की मैं ने

कई जंगें देखीं

मैं ने देखा

सूर्य-पुत्र को बेबस होते

कई शाहों के औंधे पड़े परचम देखे

ये और बात कि

ख़ामोशी मेरी फ़ितरत है

मेरी आँखें लेकिन कभी बंद नहीं होतीं

बड़े तरीक़े से मैं सब पे वार करता हूँ

मुझे परखने की ज़रूरत क्या है

कि

मैं तो समय हूँ

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Samay In Hindi By Famous Poet Afroz Alam. Samay is written by Afroz Alam. Complete Poem Samay in Hindi by Afroz Alam. Download free Samay Poem for Youth in PDF. Samay is a Poem on Inspiration for young students. Share Samay with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.