तू मेरी नींदें तलाशता है यही बहुत है

तू मेरी नींदें तलाशता है यही बहुत है

तू मिरे ख़्वाबों में जागता है यही बहुत है

ज़माना तुझ को हरीफ़ कह ले उसे ये हक़ है

मिरी नज़र में तू देवता है यही बहुत है

बहार में तू न जाने कैसे कहाँ पे ग़म था

ख़िज़ाँ में मुझ को पुकारता है यही बहुत है

जहाँ चराग़ों की लौ ख़मोशी से चुप हुई हैं

वहाँ पे आख़िर तू बोलता है यही बहुत है

ख़यालों के ये सराब तुझ को डुबो ही देंगे

जिसे तू कहता है रास्ता है यही बहुत है

गए दिनों की अजीब यादों को भूल जाओ

तुझे इक 'आलम' जो चाहता है यही बहुत है

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Tu Meri Ninden Talashta Hai Yahi Bahut Hai In Hindi By Famous Poet Afroz Alam. Tu Meri Ninden Talashta Hai Yahi Bahut Hai is written by Afroz Alam. Complete Poem Tu Meri Ninden Talashta Hai Yahi Bahut Hai in Hindi by Afroz Alam. Download free Tu Meri Ninden Talashta Hai Yahi Bahut Hai Poem for Youth in PDF. Tu Meri Ninden Talashta Hai Yahi Bahut Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Tu Meri Ninden Talashta Hai Yahi Bahut Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.