Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_125156a4a7385e37ec56254f68911cf5, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
शुऊर नीली रुतूबतों में उलझ गया है - आदिल मंसूरी कविता - Darsaal

शुऊर नीली रुतूबतों में उलझ गया है

शुऊर नीली रुतूबतों में उलझ गया है

ख़ुलूस की उँगलियों के नीचे

अँधेरा लफ़्ज़ों में ढल गया है

यहाँ सब अल्फ़ाज़ खोखले हैं

ये खोखला-पन मुक़द्दरों से जुड़ा हुआ है

ये खोखला-पन

जिसे मआनी की रेत से भर सके न कोई

मुक़द्दरों से जुड़ा हुआ है

अँधेरा घोड़ों की हिनहिनाहट से गूँजता है

अँधेरा

जिस में किसी की आँखें पिघल गई हैं

वो हिनहिनाहट से गूँजता है

ख़ुलूस की उँगलियों के नीचे

शुऊर नीली रुतूबतों में उलझ गया है

(740) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Shuur Nili Rutubaton Mein Ulajh Gaya Hai In Hindi By Famous Poet Adil Mansuri. Shuur Nili Rutubaton Mein Ulajh Gaya Hai is written by Adil Mansuri. Complete Poem Shuur Nili Rutubaton Mein Ulajh Gaya Hai in Hindi by Adil Mansuri. Download free Shuur Nili Rutubaton Mein Ulajh Gaya Hai Poem for Youth in PDF. Shuur Nili Rutubaton Mein Ulajh Gaya Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Shuur Nili Rutubaton Mein Ulajh Gaya Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.