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फ़ैज़ - आदिल मंसूरी कविता - Darsaal

फ़ैज़

अब न ज़ंजीर खड़कने की सदा आएगी

ज़िंदाँ महकेगा न अब बाद-ए-सबा आएगी

एक एक फूल के मुरझाए हुए चेहरे पर

रंग बिखरेंगे न खिलता हुआ मौसम कोई

ख़ार के सीने में चुभता हुआ फिर ग़म कोई

आँधी फिर तेज़ है तारों को बुझा दे न कहीं

रात घनघोर है सूरज को छुपा दे न कहीं

और अब शोला-ए-जाँ से भी न उट्ठेगा धुआँ

तीरगी में तिरी साँसों का उजाला भी कहाँ

चश्म-ए-नर्गिस में लहू-रंग है शबनम शायद

और सय्याद का दामन भी तो है नम शायद

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Faiz In Hindi By Famous Poet Adil Mansuri. Faiz is written by Adil Mansuri. Complete Poem Faiz in Hindi by Adil Mansuri. Download free Faiz Poem for Youth in PDF. Faiz is a Poem on Inspiration for young students. Share Faiz with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.