Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_0e842de99c54c4937da7cb63597a2e18, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सोए हुए पलंग के साए जगा गया - आदिल मंसूरी कविता - Darsaal

सोए हुए पलंग के साए जगा गया

सोए हुए पलंग के साए जगा गया

खिड़की खुली तो आसमाँ कमरे में आ गया

आँगन में तेरी याद का झोंका जो आ गया

तन्हाई के दरख़्त से पत्ते उड़ा गया

हँसते चमकते ख़्वाब के चेहरे भी मिट गए

बत्ती जली तो मन में अंधेरा सा छा गया

आया था काले ख़ून का सैलाब पिछली रात

बरसों पुरानी जिस्म की दीवार ढा गया

तस्वीर में जो क़ैद था वो शख़्स रात को

ख़ुद ही फ़्रेम तोड़ के पहलू में आ गया

वो चाय पी रहा था किसी दूसरे के साथ

मुझ पर निगाह पड़ते ही कुछ झेंप सा गया

(789) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Soe Hue Palang Ke Sae Jaga Gaya In Hindi By Famous Poet Adil Mansuri. Soe Hue Palang Ke Sae Jaga Gaya is written by Adil Mansuri. Complete Poem Soe Hue Palang Ke Sae Jaga Gaya in Hindi by Adil Mansuri. Download free Soe Hue Palang Ke Sae Jaga Gaya Poem for Youth in PDF. Soe Hue Palang Ke Sae Jaga Gaya is a Poem on Inspiration for young students. Share Soe Hue Palang Ke Sae Jaga Gaya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.