Heart Broken Poetry of Adil Mansuri (page 2)
नाम | आदिल मंसूरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Adil Mansuri |
जन्म की तारीख | 1936 |
मौत की तिथि | 2009 |
जन्म स्थान | Ahmadabad |
चाँद के पेट में हमल मछली
चल निकलो
बुध
ऐनक के शीशे पर
ज़मीं छोड़ कर मैं किधर जाऊँगा
ये फैलती शिकस्तगी एहसास की तरफ़
वुसअत-ए-दामन-ए-सहरा देखूँ
वो तुम तक कैसे आता
वो बरसात की शब वो पिछ्ला पहर
सोए हुए पलंग के साए जगा गया
सड़कों पर सूरज उतरा
फिर किसी ख़्वाब के पर्दे से पुकारा जाऊँ
फैले हुए हैं शहर में साए निढाल से
पानी को पत्थर कहते हैं
पहलू के आर-पार गुज़रता हुआ सा हो
न कोई रोक सका ख़्वाब के सफ़ीरों को
कौन था वो ख़्वाब के मल्बूस में लिपटा हुआ
जो चीज़ थी कमरे में वो बे-रब्त पड़ी थी
जीता है सिर्फ़ तेरे लिए कौन मर के देख
इबलाग़ के बदन में तजस्सुस का सिलसिला
हुआ ख़त्म दरिया तो सहरा लगा
होने को यूँ तो शहर में अपना मकान था
हाथ में आफ़्ताब पिघला कर
हज का सफ़र है इस में कोई साथ भी तो हो
घूम रहा था एक शख़्स रात के ख़ारज़ार में
गाँठी है उस ने दोस्ती इक पेश-इमाम से
एक क़तरा अश्क का छलका तो दरिया कर दिया
दरवाज़ा बंद देख के मेरे मकान का
चेहरे पे चमचमाती हुई धूप मर गई
चारों तरफ़ से मौत ने घेरा है ज़ीस्त को