आदिल मंसूरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आदिल मंसूरी
नाम | आदिल मंसूरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Adil Mansuri |
जन्म की तारीख | 1936 |
मौत की तिथि | 2009 |
जन्म स्थान | Ahmadabad |
आधों की तरफ़ से कभी पौनों की तरफ़ से
ज़रा देर बैठे थे तन्हाई में
यादों ने उसे तोड़ दिया मार के पत्थर
वो तुम तक कैसे आता
वो जान-ए-नौ-बहार जिधर से गुज़र गया
उँगली से उस के जिस्म पे लिक्खा उसी का नाम
तुम को दावा है सुख़न-फ़हमी का
तू किस के कमरे में थी
तस्वीर में जो क़ैद था वो शख़्स रात को
फूलों की सेज पर ज़रा आराम क्या किया
फिर कोई वुसअत-ए-आफ़ाक़ पे साया डाले
फिर बालों में रात हुई
नींद भी जागती रही पूरे हुए न ख़्वाब भी
नश्शा सा डोलता है तिरे अंग अंग पर
मुझे पसंद नहीं ऐसे कारोबार में हूँ
मेरे टूटे हौसले के पर निकलते देख कर
क्यूँ चलते चलते रुक गए वीरान रास्तो
कोई ख़ुद-कुशी की तरफ़ चल दिया
किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप को
ख़्वाहिश सुखाने रक्खी थी कोठे पे दोपहर
ख़ुद-ब-ख़ुद शाख़ लचक जाएगी
खिड़की ने आँखें खोली
कब तक पड़े रहोगे हवाओं के हाथ में
कब से टहल रहे हैं गरेबान खोल कर
जो चुप-चाप रहती थी दीवार पर
जिस्म की मिट्टी न ले जाए बहा कर साथ में
जाने किस को ढूँडने दाख़िल हुआ है जिस्म में
हम को गाली के लिए भी लब हिला सकते नहीं
हुदूद-ए-वक़्त से बाहर अजब हिसार में हूँ
हम्माम के आईने में शब डूब रही थी