अर्सा-ए-माह-ओ-साल से गुज़रे

अर्सा-ए-माह-ओ-साल से गुज़रे

रात राह-ए-विसाल से गुज़रे

तुम कि अहद-ए-वफ़ा निभा के 'मीर'

कितने रंज-ओ-मलाल से गुज़रे

आ शब-ए-वस्ल मुख़्तसर है बहुत

कौन शर्त-ए-सवाल से गुज़रे

क्या बताएँ कि तेरे कूचे से

किस हुनर किस कमाल से गुज़रे

कौन था वो कि जिस की चाहत में

ख़्वाब बन कर ख़याल से गुज़रे

दश्त-ए-वहशत से तेरे दीवाने

कैसे जाह-ओ-जलाल से गुज़रे

गर्दिश-ए-वक़्त थम गई 'आदिल'

तुम जो शहर-ए-मिसाल से गुज़रे

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Arsa-e-mah-o-sal Se Guzre In Hindi By Famous Poet Adil Faridi. Arsa-e-mah-o-sal Se Guzre is written by Adil Faridi. Complete Poem Arsa-e-mah-o-sal Se Guzre in Hindi by Adil Faridi. Download free Arsa-e-mah-o-sal Se Guzre Poem for Youth in PDF. Arsa-e-mah-o-sal Se Guzre is a Poem on Inspiration for young students. Share Arsa-e-mah-o-sal Se Guzre with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.