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राहत-ए-जाँ से तो ये दिल का वबाल अच्छा है - अदीम हाशमी कविता - Darsaal

राहत-ए-जाँ से तो ये दिल का वबाल अच्छा है

राहत-ए-जाँ से तो ये दिल का वबाल अच्छा है

उस ने पूछा तो है इतना तिरा हाल अच्छा है

माह अच्छा है बहुत ही न ये साल अच्छा है

फिर भी हर एक से कहता हूँ कि हाल अच्छा है

तिरे आने से कोई होश रहे या न रहे

अब तलक तो तिरे बीमार का हाल अच्छा है

ये भी मुमकिन है तिरी बात ही बन जाए कोई

उसे दे दे कोई अच्छी सी मिसाल अच्छा है

दाएँ रुख़्सार पे आतिश की चमक वज्ह-ए-जमाल

बाएँ रुख़्सार की आग़ोश में ख़ाल अच्छा है

आओ फिर दिल के समुंदर की तरफ़ लौट चलें

वही पानी वही मछली वही जाल अच्छा है

कोई दीनार न दिरहम न रियाल अच्छा है

जो ज़रूरत में हो मौजूद वो माल अच्छा है

क्यूँ परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम'

होंट अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है

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