Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_3b0b939a9b956bf8f36482a36128e4f5, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मिरे शौक़-ए-जुस्तुजू का किसे ए'तिबार होता - अदीब सहारनपुरी कविता - Darsaal

मिरे शौक़-ए-जुस्तुजू का किसे ए'तिबार होता

मिरे शौक़-ए-जुस्तुजू का किसे ए'तिबार होता

सर-ए-राह मंज़िलों तक न अगर ग़ुबार होता

मैं तुझे ख़ुदा समझ कर न गुनाहगार होता

अगर एक बे-नियाज़ी ही तिरा अशआर होता

जो सितम-ज़दों का या-रब कोई ग़म-गुसार होता

तो ग़म-ए-हयात इतना न दिलों पे बार होता

मिरी ज़िंदगी में शामिल जो न तेरा प्यार होता

तो नशात-ए-दो-जहाँ भी मुझे नागवार होता

यही महर ओ माह ओ अंजुम को गिला है मुझ से या-रब

कि उन्हें भी चैन मिलता जो मुझे क़रार होता

न सुकून-ए-दिल की चाहत में तड़प 'अदीब' इतना

किसी और को तू मिलता जो कहीं क़रार होता

(857) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mere Shauq-e-justuju Ka Kise Etibar Hota In Hindi By Famous Poet Adeeb Saharanpuri. Mere Shauq-e-justuju Ka Kise Etibar Hota is written by Adeeb Saharanpuri. Complete Poem Mere Shauq-e-justuju Ka Kise Etibar Hota in Hindi by Adeeb Saharanpuri. Download free Mere Shauq-e-justuju Ka Kise Etibar Hota Poem for Youth in PDF. Mere Shauq-e-justuju Ka Kise Etibar Hota is a Poem on Inspiration for young students. Share Mere Shauq-e-justuju Ka Kise Etibar Hota with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.