Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_3c1ceb7691961796bfeaac3209f68b1f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
गुलों को छू के शमीम-ए-दुआ नहीं आई - अदा जाफ़री कविता - Darsaal

गुलों को छू के शमीम-ए-दुआ नहीं आई

गुलों को छू के शमीम-ए-दुआ नहीं आई

खुला हुआ था दरीचा सबा नहीं आई

हवा-ए-दश्त अभी तो जुनूँ का मौसम था

कहाँ थे हम तिरी आवाज़-ए-पा नहीं आई

अभी सहीफ़ा-ए-जाँ पर रक़म भी क्या होगा

अभी तो याद भी बे-साख़्ता नहीं आई

हम इतनी दूर कहाँ थे कि फिर पलट न सकें

सवाद-ए-शहर से कोई सदा नहीं आई

सुना है दिल भी नगर था रसा बसा भी था

जला तो आँच भी अहल-ए-वफ़ा नहीं आई

न जाने क़ाफ़िले गुज़रे कि है क़याम अभी

अभी चराग़ बुझाने हवा नहीं आई

बस एक बार मनाया था जश्न-ए-महरूमी

फिर इस के बा'द कोई इब्तिला नहीं आई

हथेलियों के गुलाबों से ख़ून रिसता रहा

मगर वो शोख़ी-ए-रंग-ए-हिना नहीं आई

ग़यूर दिल से न माँगी गई मुराद 'अदा'

बरसने आप ही काली घटा नहीं आई

(875) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Gulon Ko Chhu Ke Shamim-e-dua Nahin Aai In Hindi By Famous Poet Ada Jafri. Gulon Ko Chhu Ke Shamim-e-dua Nahin Aai is written by Ada Jafri. Complete Poem Gulon Ko Chhu Ke Shamim-e-dua Nahin Aai in Hindi by Ada Jafri. Download free Gulon Ko Chhu Ke Shamim-e-dua Nahin Aai Poem for Youth in PDF. Gulon Ko Chhu Ke Shamim-e-dua Nahin Aai is a Poem on Inspiration for young students. Share Gulon Ko Chhu Ke Shamim-e-dua Nahin Aai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.