Khawab Poetry of Ada Jafri
नाम | अदा जाफ़री |
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अंग्रेज़ी नाम | Ada Jafri |
जन्म की तारीख | 1924 |
मौत की तिथि | 2015 |
जन्म स्थान | Karachi |
साज़-ए-सुख़न बहाना है
मैं साज़ ढूँडती रही
ज़बाँ को हुक्म निगाह-ए-करम को पहचाने
यही नहीं कि ज़ख़्म-ए-जाँ को चारा-जू मिला नहीं
वैसे ही ख़याल आ गया है
रोज़-ओ-शब की कोई सूरत तो बना कर रख्खूँ
मुझे रंग-ए-ख़्वाब से ज़िंदगी का यक़ीं मिला
कोई संग-ए-रह भी चमक उठा तो सितारा-ए-सहरी कहा
ख़ुद हिजाबों सा ख़ुद जमाल सा था
काँटा सा जो चुभा था वो लौ दे गया है क्या
कहते हैं कि अब हम से ख़ता-कार बहुत हैं
जो चराग़ सारे बुझा चुके उन्हें इंतिज़ार कहाँ रहा
जब दिल की रहगुज़र पे तिरा नक़्श-ए-पा न था
होंटों पे कभी उन के मिरा नाम ही आए
हिस नहीं तड़प नहीं बाब-ए-अता भी क्यूँ खुले
हर गाम सँभल सँभल रही थी
गुलों सी गुफ़्तुगू करें क़यामतों के दरमियाँ
चाक-ए-दिल भी कभी सिलते होंगे
आलम ही और था जो शनासाइयों में था