वो आ रहा था मगर मैं निकल गया कहीं और
वो आ रहा था मगर मैं निकल गया कहीं और
सौ ज़ख़्म-ए-हिज्र से बढ़ कर अज़ाब मैं ने दिया
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सौ ज़ख़्म-ए-हिज्र से बढ़ कर अज़ाब मैं ने दिया
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