Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_bdd8d1ade838613cf77f9c92b3109b0a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तमाम हिज्र उसी का विसाल है उस का - अबुल हसनात हक़्क़ी कविता - Darsaal

तमाम हिज्र उसी का विसाल है उस का

तमाम हिज्र उसी का विसाल है उस का

मैं जी रहा हूँ मगर जान ओ माल है उस का

वो ज़ीना ज़ीना उतरने लगे तो सब बुझ जाए

वो बाम पर है तो सब माह-ओ-साल है उस का

मैं क़त्ल हो के भी शर्मिंदा अपने-आप से हूँ

कि इस के बाद तो सारा ज़वाल है उस का

उगल रही हैं ख़ज़ाने खुली हुई आँखें

ख़बर करो कि ये सर पाएमाल है उस का

हज़ार साल से हूँ तिश्ना-ए-सवाल-ओ-जवाब

मैं इतना प्यासा हूँ सोना मुहाल है उस का

उठाए हाथ तो अंगड़ाई इस्तिआरा बने

वो ताब-ओ-तब है कि हर दिल ग़ज़ाल है उस का

क़दम क़दम शजर-ए-साया-दार पैदा है

कि मेरे साथ सफ़र में ख़याल है उस का

वो ले के आया है अपनी सरिश्त में शबनम

सफ़र भी जानिब-ए-बाद-ए-शिमाल है उस का

निगाह उट्ठे तो शाइस्ता-ए-जुनूँ हो जाएँ

हवस को सैद करे वो जमाल है उस का

ख़बर नहीं थी कि यूँ उस में डूब जाएँगे

हमारे चेहरे पे रंग-ए-मलाल है उस का

कभी कभी तो बड़े ज़ोर से धड़कता है

ये मेरा दिल नहीं कोई कमाल है उस का

जो आया हिज्र का मौसम तो क्या करेंगे हम

जो तजरबे में नहीं वो सवाल है उस का

(920) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tamam Hijr Usi Ka Visal Hai Us Ka In Hindi By Famous Poet Abul Hasanat Haqqi. Tamam Hijr Usi Ka Visal Hai Us Ka is written by Abul Hasanat Haqqi. Complete Poem Tamam Hijr Usi Ka Visal Hai Us Ka in Hindi by Abul Hasanat Haqqi. Download free Tamam Hijr Usi Ka Visal Hai Us Ka Poem for Youth in PDF. Tamam Hijr Usi Ka Visal Hai Us Ka is a Poem on Inspiration for young students. Share Tamam Hijr Usi Ka Visal Hai Us Ka with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.