Ghazals of Abul Hasanat Haqqi
नाम | अबुल हसनात हक़्क़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Abul Hasanat Haqqi |
जन्म स्थान | Kanpur |
ये इक और हम ने क़रीना किया
ये इक और हम ने क़रीना किया
तमाम हिज्र उसी का विसाल है उस का
शिकस्त-ए-अहद पर इस के सिवा बहाना भी क्या
शब को हर रंग में सैलाब तुम्हारा देखें
फूल का या संग का इज़हार कर
नुमू तो पहले भी था इज़्तिराब मैं ने दिया
नक़्श-ए-यक़ीं तिरा वजूद-ए-वहम बुझा गुमाँ बुझा
दिल को हम दरिया कहें मंज़र-निगारी और क्या
बे-नियाज़-ए-दहर कर देता है इश्क़
बे-नियाज़ दहर कर देता है इश्क़