Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1e7ab0010d69de50b0c12ce9c306b043, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तेग़-ए-जफ़ा को तेरी नहीं इम्तिहाँ से रब्त - अबू ज़ाहिद सय्यद यहया हुसैनी क़द्र कविता - Darsaal

तेग़-ए-जफ़ा को तेरी नहीं इम्तिहाँ से रब्त

तेग़-ए-जफ़ा को तेरी नहीं इम्तिहाँ से रब्त

मेरी सुबुक-सरी को है बार-ए-गराँ से रब्त

दुनिया को हम से काम न दुनिया से हम को काम

ख़ातिर से तेरी रखते हैं सारे-जहाँ से रब्त

उड़ते ही गर्द जाती है जो सू-ए-आसमाँ

है कुछ न कुछ ज़मीन को भी आसमाँ से रब्त

इज़हार-ए-हाल के लिए सूरत सवाल है

है गुफ़्तुगू से काम न हम को ज़बाँ से रब्त

चश्मे की तरह रहती हैं जारी मुदाम ये

आँखों को हो गया है जो आब-ए-रवाँ से रब्त

बे-रब्तियों ने 'क़द्र' मिटाई जो रब्त की

है गोश्त को भी अपने न अब उस्तुख़्वाँ से रब्त

(778) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tegh-e-jafa Ko Teri Nahin Imtihan Se Rabt In Hindi By Famous Poet Abu Zahid Sayyad Yahya Husaini Qadr. Tegh-e-jafa Ko Teri Nahin Imtihan Se Rabt is written by Abu Zahid Sayyad Yahya Husaini Qadr. Complete Poem Tegh-e-jafa Ko Teri Nahin Imtihan Se Rabt in Hindi by Abu Zahid Sayyad Yahya Husaini Qadr. Download free Tegh-e-jafa Ko Teri Nahin Imtihan Se Rabt Poem for Youth in PDF. Tegh-e-jafa Ko Teri Nahin Imtihan Se Rabt is a Poem on Inspiration for young students. Share Tegh-e-jafa Ko Teri Nahin Imtihan Se Rabt with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.