Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c00bd7c5b067544fea6145dac2d5b8a9, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ख़ामोश इस तरह से न जल कर धुआँ उठा - अबू ज़ाहिद सय्यद यहया हुसैनी क़द्र कविता - Darsaal

ख़ामोश इस तरह से न जल कर धुआँ उठा

ख़ामोश इस तरह से न जल कर धुआँ उठा

ऐ शम्अ' कुछ तो बोल कभी तो ज़बाँ उठा

बुत बन के चुपके फ़ित्ने न यूँ मेरी जाँ उठा

मुँह में अगर ज़बाँ है तो लुत्फ़-ए-ज़बाँ उठा

है कोसों दूर मंज़िल-ए-अंजाम-ए-गुफ़्तुगू

तेज़ी के साथ अपने क़दम ऐ ज़बाँ उठा

डर है यही कि कश्ती-ए-मज़मूँ न डूब जाए

रह रह के इतनी मौजें न बहर-ए-ज़बाँ उठा

अब दौर में है रिंदों के पैमाना-ए-कलाम

फिर आ गई बहार फिर अब्र-ए-ज़बाँ उठा

कर इस क़दर न ज़ौक़-ए-तकल्लुम को शर्मसार

अपना सर-ए-नियाज़ कभी तो ज़बाँ उठा

कहता है 'क़द्र' देख के तेरे सुकूत को

कुछ फ़ाएदा कलाम से भी ऐ ज़बाँ उठा

(811) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

KHamosh Is Tarah Se Na Jal Kar Dhuan UTha In Hindi By Famous Poet Abu Zahid Sayyad Yahya Husaini Qadr. KHamosh Is Tarah Se Na Jal Kar Dhuan UTha is written by Abu Zahid Sayyad Yahya Husaini Qadr. Complete Poem KHamosh Is Tarah Se Na Jal Kar Dhuan UTha in Hindi by Abu Zahid Sayyad Yahya Husaini Qadr. Download free KHamosh Is Tarah Se Na Jal Kar Dhuan UTha Poem for Youth in PDF. KHamosh Is Tarah Se Na Jal Kar Dhuan UTha is a Poem on Inspiration for young students. Share KHamosh Is Tarah Se Na Jal Kar Dhuan UTha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.