Sad Poetry of Abu Mohammad Wasil

Sad Poetry of Abu Mohammad Wasil
नामअबु मोहम्मद वासिल
अंग्रेज़ी नामAbu Mohammad Wasil

ये बंदगी का सदा अब समाँ रहे न रहे

तसव्वुरात में इन को बुला के देख लिया

रह-ए-वफ़ा में उन्हीं की ख़ुशी की बात करो

मसरूर हो रहे हैं ग़म-ए-आशिक़ी से हम

जबीन-ए-शौक़ पर कोई हुआ है मेहरबाँ शायद

हसरत-ए-दीद रही दीद का ख़्वाहाँ हो कर

अगर मेरी जबीन-ए-शौक़ वक़्फ़-ए-बंदगी होती

आगे वो जा भी चुके लुत्फ़-ए-नज़ारा भी गया

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