जबीन-ए-शौक़ पर कोई हुआ है मेहरबाँ शायद

जबीन-ए-शौक़ पर कोई हुआ है मेहरबाँ शायद

पए सज्दा बुलाता है किसी का आस्ताँ शायद

दम-ए-नज़अ वो आए और ज़ियारत हो गई उन की

मुकम्मल हो गई अब ज़िंदगी की दास्ताँ शायद

ख़िज़ाँ का नाम अंजाम-ए-बहाराँ की ख़बर सुन कर

गुलिस्ताँ से किनारा-कश हुआ है बाग़बाँ शायद

हँसा करते हैं अक्सर लोग दीवानों की बातों पर

जहाँ वाले नहीं समझे मोहब्बत की ज़बाँ शायद

हरम से मुझ को रग़बत है न बुत-ख़ाने से दिलचस्पी

मिरे सज्दों की क़िस्मत में है उन का आस्ताँ शायद

मोहब्बत मुस्तक़िल इक ग़म है जिस को जानता हूँ मैं

मिरी दुनिया में कोई भी नहीं है शादमाँ शायद

क़फ़स तक आ गए उड़ते हुए तिनके नशेमन के

हवा के दोश पर आया यहाँ तक आशियाँ शायद

जबीन-ए-बंदगी जिस दम बनाई ख़ालिक-ए-कुल ने

उसी के साथ डाली है बिना-ए-आस्ताँ शायद

वफ़ादारी ग़ुरूर-ए-बे-रुख़ी को ख़त्म कर देगी

ज़ियादा तो नहीं कुछ दिन रहें वो बद-गुमाँ शायद

जो दुश्मन कह रहा है सब ग़लत उस को समझते हैं

हक़ीक़त में वही है बे-हक़ीक़त दास्ताँ शायद

जहान-ए-दिल तो है नज़दीक 'वासिल' दूर क्यूँ जाओ

इसी दुनिया में रहता है तुम्हारा मेहरबाँ शायद

इजाज़त बाज़याबी की न दे वो पासबाँ शायद

न पहुँचे ख़्वाब-गाह-ए-नाज़ तक मेरी फ़ुग़ाँ शायद

(786) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jabin-e-shauq Par Koi Hua Hai Mehrban Shayad In Hindi By Famous Poet Abu Mohammad Wasil. Jabin-e-shauq Par Koi Hua Hai Mehrban Shayad is written by Abu Mohammad Wasil. Complete Poem Jabin-e-shauq Par Koi Hua Hai Mehrban Shayad in Hindi by Abu Mohammad Wasil. Download free Jabin-e-shauq Par Koi Hua Hai Mehrban Shayad Poem for Youth in PDF. Jabin-e-shauq Par Koi Hua Hai Mehrban Shayad is a Poem on Inspiration for young students. Share Jabin-e-shauq Par Koi Hua Hai Mehrban Shayad with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.