दिल में उन का ख़याल आता है
दिल में उन का ख़याल आता है
और पहरों मुझे रुलाता है
बस तू ही तू है हर तरफ़ मौजूद
कोई आता है और न जाता है
आँखों आँखों में ले लिया दिल को
और दिल में कोई समाता है
ज़ुल्मतों का गुज़र कहाँ मुमकिन
उन का रौशन ख़याल आता है
अपनी सूरत कहाँ रही 'वासिल'
उन की सूरत का सब तमाशा है
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