Ghazals of Abu Mohammad Wasil
नाम | अबु मोहम्मद वासिल |
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अंग्रेज़ी नाम | Abu Mohammad Wasil |
ये बंदगी का सदा अब समाँ रहे न रहे
तसव्वुरात में इन को बुला के देख लिया
रह-ए-वफ़ा में उन्हीं की ख़ुशी की बात करो
मसरूर हो रहे हैं ग़म-ए-आशिक़ी से हम
कारवाँ इश्क़ की मंज़िल के क़रीं आ पहूँचा
जबीन-ए-शौक़ पर कोई हुआ है मेहरबाँ शायद
हसरत-ए-दीद रही दीद का ख़्वाहाँ हो कर
दिल में उन का ख़याल आता है
अगर मेरी जबीन-ए-शौक़ वक़्फ़-ए-बंदगी होती
आगे वो जा भी चुके लुत्फ़-ए-नज़ारा भी गया