Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5d88af2126eb6e472ef0041cc1ed5299, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ख़्वाबों का नश्शा है न तमन्ना का सिलसिला - अबु मोहम्मद सहर कविता - Darsaal

ख़्वाबों का नश्शा है न तमन्ना का सिलसिला

ख़्वाबों का नश्शा है न तमन्ना का सिलसिला

अब रह गया है बस ग़म-ए-दुनिया का सिलसिला

आबाद दूर दूर हैं वीराँ से कुछ मक़ाम

ये बस्तियाँ हैं या कोई सहरा का सिलसिला

गर्दिश में जान-ओ-दिल हों तो क्यूँकर मिले सुकूँ

यारो नहीं ये साग़र-ओ-मीना का सिलसिला

दो ही क़दम चले थे किसी की तलाश में

फिर मिल सका न नक़्श-ए-कफ़-ए-पा का सिलसिला

इंसाँ को सिलसिलों से मिलेगी नजात क्या

दुनिया के ब'अद है अभी उक़्बा का सिलसिला

अपने वजूद से भी गिले पर हुआ तमाम

इतना बढ़ा शिकायत-ए-बेजा का सिलसिला

इक शहर-ए-तिश्ना-काम में जीते हैं यूँ 'सहर'

आता है रोज़ ख़्वाब में दरिया का सिलसिला

(1072) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

KHwabon Ka Nashsha Hai Na Tamanna Ka Silsila In Hindi By Famous Poet Abu Mohammad Sahar. KHwabon Ka Nashsha Hai Na Tamanna Ka Silsila is written by Abu Mohammad Sahar. Complete Poem KHwabon Ka Nashsha Hai Na Tamanna Ka Silsila in Hindi by Abu Mohammad Sahar. Download free KHwabon Ka Nashsha Hai Na Tamanna Ka Silsila Poem for Youth in PDF. KHwabon Ka Nashsha Hai Na Tamanna Ka Silsila is a Poem on Inspiration for young students. Share KHwabon Ka Nashsha Hai Na Tamanna Ka Silsila with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.