Islamic Poetry of Abroo Shah Mubarak

Islamic Poetry of Abroo Shah Mubarak
नामआबरू शाह मुबारक
अंग्रेज़ी नामAbroo Shah Mubarak
जन्म की तारीख1685
मौत की तिथि1733
जन्म स्थानDelhi

तुम्हारे देखने के वास्ते मरते हैं हम खल सीं

जो कि बिस्मिल्लाह कर खाए तआम

इश्क़ की सफ़ मनीं नमाज़ी सब

डर ख़ुदा सीं ख़ूब नईं ये वक़्त-ए-क़त्ल-ए-आम कूँ

याद-ए-ख़ुदा कर बंदे यूँ नाहक़ उम्र कूँ खोना क्या

उस ज़ुल्फ़-ए-जाँ कूँ सनम की बला कहो

शौक़ बढ़ता है मिरे दिल का दिल-अफ़गारों के बीच

निपट ये माजरा यारो कड़ा है

निगह तेरी का इक ज़ख़्मी न तन्हा दिल हमारा है

नाज़नीं जब ख़िराम करते हैं

मत मेहर सेती हाथ में ले दिल हमारे कूँ

ख़ुदा के वास्ते ऐ यार हम सीं आ मिल जा

कहो तुम किस सबब रूठे हो प्यारे बे-गुनह हम सीं

इस ज़ुल्फ़-ए-जाँ-गुज़ा कूँ सनम की बला कहो

हम नीं सजन सुना है उस शोख़ के दहाँ है

गुनाहगारों की उज़्र-ख़्वाही हमारे साहिब क़ुबूल कीजे

गली अकेली है प्यारे अँधेरी रातें हैं

दिल्ली के बीच हाए अकेले मरेंगे हम

देखो तो जान तुम कूँ मनाते हैं कब सेती

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