तुम यूँ सियाह-चश्म ऐ सजन मुखड़े के झुमकों से हुए
तुम यूँ सियाह-चश्म ऐ सजन मुखड़े के झुमकों से हुए
ख़ुर्शीद नीं गर्मी गिरी तब तो हिरन काला हुआ
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तुम यूँ सियाह-चश्म ऐ सजन मुखड़े के झुमकों से हुए
ख़ुर्शीद नीं गर्मी गिरी तब तो हिरन काला हुआ
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