Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c41f2b1e365055b12e19065050776ff0, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
न पावे चाल तेरे की पियारे ये ढलक दरिया - आबरू शाह मुबारक कविता - Darsaal

न पावे चाल तेरे की पियारे ये ढलक दरिया

न पावे चाल तेरे की पियारे ये ढलक दरिया

चला जावे अगरचे रोवता महशर तलक दरिया

कहाँ ऐसा मुबक्की हो कि जावे ता-फ़लक दरिया

नहीं हम-चश्म मेरे अश्क का मारे है झुक दरिया

हुआ है चश्म-ए-हैरत देख तेरी आब रफ़्तारी

किनारे नहिं रहा है खोल इन दोनों पलक दरिया

भर आवे आब-ए-हसरत उस के मुँह में जब लहर आवे

अगर देखे तिरे इन नर्म गालों के थलक दरिया

नहीं हैं ये हुबाब आते हैं जो नज़रों में मर्दुम की

जलन मुझ अश्क की सीं दिल में रखता है फलक दरिया

अगर हो कोह तो रेले सीं इस लश्कर के चल जावे

कहाँ सकता है मुझ अंझुवाँ की फ़ौजाँ सीं अटक दरिया

असर करने का नहिं संगीं-दिलाँ में रोवना हरगिज़

करारे सख़्त हैं बे-जा रहा है सर पटक दरिया

यक़ीं आया किया जब उस के तईं पानी सीं भी पतला

हमारे अश्क की गर्मी में कुछ रखता था शक दरिया

नहीं मुमकिन हमारे दिल की आतिश का बुझा सकना

करे गर अब्र-ए-तूफ़ाँ-ख़ेज़ कूँ आ कर कुमक दरिया

न होवे 'आबरू' ख़ाना-ख़राबी क्यूँ कि मर्दुम की

क्या अंझुवाँ में मेरे अब समा सीं ता-समक दरिया

(723) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Na Pawe Chaal Tere Ki Piyare Ye Dhalak Dariya In Hindi By Famous Poet Abroo Shah Mubarak. Na Pawe Chaal Tere Ki Piyare Ye Dhalak Dariya is written by Abroo Shah Mubarak. Complete Poem Na Pawe Chaal Tere Ki Piyare Ye Dhalak Dariya in Hindi by Abroo Shah Mubarak. Download free Na Pawe Chaal Tere Ki Piyare Ye Dhalak Dariya Poem for Youth in PDF. Na Pawe Chaal Tere Ki Piyare Ye Dhalak Dariya is a Poem on Inspiration for young students. Share Na Pawe Chaal Tere Ki Piyare Ye Dhalak Dariya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.