अगर अँखियों सीं अँखियों को मिलाओगे तो क्या होगा

अगर अँखियों सीं अँखियों को मिलाओगे तो क्या होगा

नज़र कर लुत्फ़ की हम कूँ जलाओगे तो क्या होगा

तुम्हारे लब की सुर्ख़ी लअ'ल की मानिंद असली है

अगर तुम पान ऐ प्यारे न खाओगे तो क्या होगा

मोहब्बत सीं कहता हूँ तौर बद-नामी का बेहतर नहिं

अगर ख़ंदों की सोहबत में न जाओगे तो क्या होगा

तुम्हारे शौक़ में हूँ जाँ-ब-लब इक उम्र गुज़री है

अगर इक दम कूँ आ कर मुख दिखाओगे तो क्या होगा

मिरा दिल मिल रहा है तुम सूँ प्यारे बातिनी मिलना

अगर हम पास ज़ाहिर में न आओगे तो क्या होगा

जगत के लोग सारे 'आबरू' कूँ प्यार करते हैं

अगर तुम भी गले इस कूँ लगाओगे तो क्या होगा

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