ख़ुशी के वक़्त भी तुझ को मलाल कैसा है
ख़ुशी के वक़्त भी तुझ को मलाल कैसा है
उरूज-ए-हुस्न में नक़्स-ए-कमाल कैसा है
जो एक दूजे को चाहें तो क्यूँ न अपना लें
ये दिल से पूछ के बतला ख़याल कैसा है
नहीं जो आने के सब उन की राह तकते हैं
ये इंतिज़ार का शहर-ए-वबाल कैसा है
है जिस के साथ जुड़े इक हज़ार इक ख़दशे
वो हिज्र कैसा है 'हामिद' विसाल कैसा है
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