अगर तू साथ चल पड़ता सफ़र आसान हो जाता
अगर तू साथ चल पड़ता सफ़र आसान हो जाता
ख़ुशी से उम्र भर जीने का इक सामान हो जाता
न जा कर क्यूँ जताता है जो जाना था चला जाता
बहुत होता तो ये होता कि मैं हैरान हो जाता
जो मेरी सम्त तू दो गाम भी हँस कर चला आता
मैं तेरे और तू मेरे लिए ईमान हो जाता
ख़ुशी से मुझ पे क्या जाने गुज़र जानी थी फिर 'हामिद'
घड़ी पल को भी तू मुझ पर जो कुछ क़ुर्बान हो जाता
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