Ghazals of Abrar Hamid
नाम | अबरार हामिद |
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अंग्रेज़ी नाम | Abrar Hamid |
शाम से मिलने गया तो रात ने ठहरा लिया
क्या क्या धरे अजूबे हैं शहर-ए-ख़याल में
ख़ुशी के वक़्त भी तुझ को मलाल कैसा है
ख़ुश-बख़्त हैं आज़ाद हैं जो अपने सुख़न में
दिए की लौ से न जल जाए तीरगी शब की
बिफरी लहरें रात अँधेरी और बला की आँधी है
भड़क उठा है अलाव तुम्हारी फ़ुर्क़त का
अगर तू साथ चल पड़ता सफ़र आसान हो जाता