Sad Poetry of Abrar Ahmad
नाम | अबरार अहमद |
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अंग्रेज़ी नाम | Abrar Ahmad |
जन्म की तारीख | 1954 |
जन्म स्थान | Lahore |
ये ऊँट और किसी के हैं दश्त मेरा है
याद भी तेरी मिट गई दिल से
मरकज़-ए-जाँ तो वही तू है मगर तेरे सिवा
गुंजाइश-ए-अफ़्सोस निकल आती है हर रोज़
गो फ़रामोशी की तकमील हुआ चाहती है
ज़िंदा आदमी से कलाम
तुम जो आते हो
मिट्टी से एक मुकालिमा
मेरे पास क्या कुछ नहीं
मौत दिल से लिपट गई उस शब
मजीद-अमजद के लिए
कहीं टूटते हैं
हम कि इक भेस लिए फिरते हैं
हवा जब तेज़ चलती है
हवा हर इक सम्त बह रही है
हमारे दुखों का इलाज कहाँ है
आँखें तरस गई हैं
आख़िरी दिन से पहले
आगे बढ़ने वाले
ज़मीं नहीं ये मिरी आसमाँ नहीं मेरा
ये रह-ए-इश्क़ है इस राह पे गर जाएगा तू
ये भी तो कमाल हो गया है
यक़ीन है कि गुमाँ है मुझे नहीं मालूम
तुझ से वाबस्तगी रहेगी अभी
राह दुश्वार भी है बे-सर-ओ-सामानी भी
क़िस्से से तिरे मेरी कहानी से ज़ियादा
क्या जानिए क्या है हद-ए-इदराक से आगे
कुछ काम नहीं है यहाँ वहशत के बराबर
कोई सोचे न हमें कोई पुकारा न करे
कि जैसे कुंज-ए-चमन से सबा निकलती है