Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_4787e55d786f35f9f23c786758d30a72, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तिरी दुनिया के नक़्शे में - अबरार अहमद कविता - Darsaal

तिरी दुनिया के नक़्शे में

तिरी दुनिया में जंगल हैं

हरे बाग़ात हैं

और दूर तक फैले बयाबाँ हैं

कहीं पर बस्तियाँ हैं

रौशनी के मंतक़े हैं

पहाड़ों पर उतरते बादलों में

रक़्स करता है समुंदर चार-सू

इसी अम्बोह का हिस्सा नहीं हूँ मैं

कहाँ हूँ मैं

मैं तेरे लम्स से इक आग बन कर फैलना

तस्ख़ीर की सूरत बिफरना चाहता था

और इतरा हूँ

किसी बे-मेहर सन्नाटे के मैदाँ में

हज़ीमत की दहकती रेत पर

बिखरा पड़ा हूँ शाम की सूरत

मैं जीना चाहता था तेरी दुनिया में

तिरे होंटों पे खिलते नाम की सूरत

कहीं दुश्नाम की सूरत

कहीं आराम की सूरत

मैं आँसू था

तिरे चेहरे पे आ कर फूल धरता था

तिरे दुख पर

गिरा करता था क़दमों में

ऐ चश्म-ए-तर कहाँ हूँ मैं

अँधेरे से भरी आँखों में

चलती है हवा हर-सू

और उड़ते जा रहे हैं रास्ते उस में

ज़मानों के किनारों से

अबद के सर्द ख़ानों तक

हवा चलती है हर-सू

और उस की हम-रही में

दो-क़दम चलता नहीं हूँ मैं

हुजूम-ए-रोज़-ओ-शब में

किस जगह सहमा हुआ हूँ मैं

कहाँ हूँ मैं

तिरी दुनिया के नक़्शे में

कहाँ हूँ मैं

(878) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Teri Duniya Ke Naqshe Mein In Hindi By Famous Poet Abrar Ahmad. Teri Duniya Ke Naqshe Mein is written by Abrar Ahmad. Complete Poem Teri Duniya Ke Naqshe Mein in Hindi by Abrar Ahmad. Download free Teri Duniya Ke Naqshe Mein Poem for Youth in PDF. Teri Duniya Ke Naqshe Mein is a Poem on Inspiration for young students. Share Teri Duniya Ke Naqshe Mein with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.