Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_cbb47aec42d8f618b94e950f8f79861a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दवाम-ए-वस्ल का ख़्वाब - अबरार अहमद कविता - Darsaal

दवाम-ए-वस्ल का ख़्वाब

पक्की गंदुम के ख़ोशों में

उमडते दिन के डेरों में

अँधेरे की घनी शाख़ों

परिंदों के बसेरों में

थके बादल से गिरते नाम के अंदर

उतरती शाम के अंदर

दवाम-ए-वस्ल का इक ख़्वाब है

जो साँस लेता है

महकती सर-ज़मीनों में

मकानों में मकीनों में

तिरे मेरे इलाक़ों में

हमारे अहद-नामों में

लरज़ते बादबानों में

कहीं दूरी के गीतों में

कहीं क़ुर्बत की तानों में

अज़ल से ता-अबद फैली हुई

इस चादर-ए-अफ़्लाक के अंदर

रिदा-ए-ख़ाक के अंदर

हमारी नींद की गलियों में

अपनी धुन बजाता है

मकान-ए-आफ़ियत के बंद दरवाज़े गिराता है

(1693) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dawam-e-wasl Ka KHwab In Hindi By Famous Poet Abrar Ahmad. Dawam-e-wasl Ka KHwab is written by Abrar Ahmad. Complete Poem Dawam-e-wasl Ka KHwab in Hindi by Abrar Ahmad. Download free Dawam-e-wasl Ka KHwab Poem for Youth in PDF. Dawam-e-wasl Ka KHwab is a Poem on Inspiration for young students. Share Dawam-e-wasl Ka KHwab with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.