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क्या जानिए क्या है हद-ए-इदराक से आगे - अबरार अहमद कविता - Darsaal

क्या जानिए क्या है हद-ए-इदराक से आगे

क्या जानिए क्या है हद-ए-इदराक से आगे

बस ख़ाक है इस तेरी मिरी ख़ाक से आगे

है शोर-ए-फ़ुग़ाँ ख़ामुशी-ए-मर्ग के पीछे

इक तेज़ हवा है ख़स-ओ-ख़ाशाक से आगे

हम देखते हैं आँख में सहमे हुए आँसू

इक चुप है कहीं ख़ंदा-ए-बे-बाक से आगे

इक रंग सा है रंग-ए-तमन्ना से मुमासिल

इक अब्र सा है दीदा-ए-नम-नाक से आगे

मैं अपने किसी ख़्वाब की मुँह-ज़ोर हवा में

अक्सर ही निकल जाता हूँ अफ़्लाक से आगे

क्या शोर करें गिर्या-ए-अश्शाक़ से बढ़ कर

क्या ज़ोर करें पैरहन-ए-चाक से आगे

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