Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ec30f18ee501a59f54b95e364d1c66e1, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हम ने रक्खा था जिसे अपनी कहानी में कहीं - अबरार अहमद कविता - Darsaal

हम ने रक्खा था जिसे अपनी कहानी में कहीं

हम ने रक्खा था जिसे अपनी कहानी में कहीं

अब वो तहरीर है औराक़-ए-ख़िज़ानी में कहीं

बस ये इक साअत-ए-हिज्राँ है कि जाती ही नहीं

कोई ठहरा भी है इस आलम-ए-फ़ानी में कहीं

जितना सामाँ भी इकट्ठा किया इस घर के लिए

भूल जाएँगे उसे नक़्ल-ए-मकानी में कहीं

ख़ैर औरों का तो क्या ज़िक्र कि अब लगता है

तू भी शामिल है मिरे रंज-ए-ज़मानी में कहीं

चश्म-ए-नमनाक को इस दर्जा हक़ारत से न देख

तुझ को मिल जाना है इक दिन इसी पानी में कहीं

मरकज़-ए-जाँ तो वही तू है मगर तेरे सिवा

लोग हैं और भी इस याद पुरानी में कहीं

जश्न-ए-मातम भी है रौनक़ सी तमाशाई को

कोई नग़्मा भी है इस मर्सिया-ख़्वानी में कहीं

आज के दिन में किसी और ही दिन की है झलक

शाम है और ही इस शाम सुहानी में कहीं

क्या समझ आए किसी को मुझे मालूम भी है

बात कर जाता हूँ मैं अपनी रवानी में कहीं

(817) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Humne Rakkha Tha Jise Apni Kahani Mein Kahin In Hindi By Famous Poet Abrar Ahmad. Humne Rakkha Tha Jise Apni Kahani Mein Kahin is written by Abrar Ahmad. Complete Poem Humne Rakkha Tha Jise Apni Kahani Mein Kahin in Hindi by Abrar Ahmad. Download free Humne Rakkha Tha Jise Apni Kahani Mein Kahin Poem for Youth in PDF. Humne Rakkha Tha Jise Apni Kahani Mein Kahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Humne Rakkha Tha Jise Apni Kahani Mein Kahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.