Heart Broken Poetry of Abrar Ahmad (page 2)
नाम | अबरार अहमद |
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अंग्रेज़ी नाम | Abrar Ahmad |
जन्म की तारीख | 1954 |
जन्म स्थान | Lahore |
ये यक़ीं ये गुमाँ ही मुमकिन है
ये रह-ए-इश्क़ है इस राह पे गर जाएगा तू
ये भी तो कमाल हो गया है
यक़ीन है कि गुमाँ है मुझे नहीं मालूम
तुझ से वाबस्तगी रहेगी अभी
राह दुश्वार भी है बे-सर-ओ-सामानी भी
क़िस्से से तिरे मेरी कहानी से ज़ियादा
क्या जानिए क्या है हद-ए-इदराक से आगे
कुछ काम नहीं है यहाँ वहशत के बराबर
कोई सोचे न हमें कोई पुकारा न करे
कि जैसे कुंज-ए-चमन से सबा निकलती है
कहीं पर सुब्ह रखता हूँ कहीं पर शाम रखता हूँ
जो भी यकजा है बिखरता नज़र आता है मुझे
हम ने रक्खा था जिसे अपनी कहानी में कहीं
हमें ख़बर नहीं कुछ कौन है कहाँ कोई है
गुरेज़ाँ था मगर ऐसा नहीं था
इक फ़रामोश कहानी में रहा
और क्या रह गया है होने को