Khawab Poetry of Abrar Ahmad
नाम | अबरार अहमद |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Abrar Ahmad |
जन्म की तारीख | 1954 |
जन्म स्थान | Lahore |
भर लाए हैं हम आँख में रखने को मुक़ाबिल
पिछले पहर की दस्तक
पस-मंज़र की आवाज़
मिट्टी थी किस जगह की
मेरे पास क्या कुछ नहीं
मौत दिल से लिपट गई उस शब
कहीं टूटते हैं
हम कि इक भेस लिए फिरते हैं
हवा जब तेज़ चलती है
हमारे दुखों का इलाज कहाँ है
दवाम-ए-वस्ल का ख़्वाब
आँखें तरस गई हैं
आख़िरी दिन से पहले
ज़मीं नहीं ये मिरी आसमाँ नहीं मेरा
ये यक़ीं ये गुमाँ ही मुमकिन है
ये रह-ए-इश्क़ है इस राह पे गर जाएगा तू
ये भी तो कमाल हो गया है
यक़ीन है कि गुमाँ है मुझे नहीं मालूम
तुझ से वाबस्तगी रहेगी अभी
राह दुश्वार भी है बे-सर-ओ-सामानी भी
क़िस्से से तिरे मेरी कहानी से ज़ियादा
क्या जानिए क्या है हद-ए-इदराक से आगे
कुछ काम नहीं है यहाँ वहशत के बराबर
कोई सोचे न हमें कोई पुकारा न करे
कहीं पर सुब्ह रखता हूँ कहीं पर शाम रखता हूँ
जो भी यकजा है बिखरता नज़र आता है मुझे
हमें ख़बर नहीं कुछ कौन है कहाँ कोई है
गुरेज़ाँ था मगर ऐसा नहीं था
इक फ़रामोश कहानी में रहा
और क्या रह गया है होने को