Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5b9a48811efce818681a76ae78998cf8, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
किसी मक़ाम पे हम को भी रोकता कोई - आबिद आलमी कविता - Darsaal

किसी मक़ाम पे हम को भी रोकता कोई

किसी मक़ाम पे हम को भी रोकता कोई

मगर उड़ाए लिए जाती है हवा कोई

तमाम-उम्र न मुझ को मिला वजूद मिरा

तमाम-उम्र मुझे सोचता रहा कोई

मुझे समेट लो या फिर उड़ा के ले जाओ

ये कह के राह-ए-तलब में बिखर गया कोई

यूँही सदाएँ न दो ख़ामुशी के सहरा में

हवा चलेगी तो आ जाएगी सदा कोई

किसी को अपनी निगाहों पे ए'तिबार न था

हमें हमारी तरह कैसे देखता कोई

हज़ार संग हैं राहों में अब भी सोए हुए

ये और बात है हम को जगा गया कोई

बदन के दश्त को हम जिस से पार कर लेते

कहीं मिला न हमें ऐसा रास्ता कोई

मैं बंद कमरे में ख़ामोश रह तो सकता हूँ

मिरे बदन में अगर घुट के मर गया कोई

(1229) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kisi Maqam Pe Hum Ko Bhi Rokta Koi In Hindi By Famous Poet Abid Almi. Kisi Maqam Pe Hum Ko Bhi Rokta Koi is written by Abid Almi. Complete Poem Kisi Maqam Pe Hum Ko Bhi Rokta Koi in Hindi by Abid Almi. Download free Kisi Maqam Pe Hum Ko Bhi Rokta Koi Poem for Youth in PDF. Kisi Maqam Pe Hum Ko Bhi Rokta Koi is a Poem on Inspiration for young students. Share Kisi Maqam Pe Hum Ko Bhi Rokta Koi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.