Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_6d3d0a02ab7c5e65d9ae3c2c3936c2f6, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जब से अल्फ़ाज़ के जंगल में घिरा है कोई - आबिद आलमी कविता - Darsaal

जब से अल्फ़ाज़ के जंगल में घिरा है कोई

जब से अल्फ़ाज़ के जंगल में घिरा है कोई

पूछता फिरता है मेरी भी सदा है कोई

राह की धूल में डूबा हुआ आ पहुँचेगा

अपने माज़ी का पता लेने गया है कोई

रात के साए में इक उजड़े हुए आँगन में

बे-सदा ठूँठ के मानिंद खड़ा है कोई

जब भी घबरा के तुझे देता हूँ इक आध सदा

लोग कहते हैं कि इस घर में बला है कोई

मैं वो चिट्ठी हूँ मिटा जाता है जिस का हर हर्फ़

पढ़ के इक बार मुझे भूल गया है कोई

आसमाँ रात दरख़्तों के क़रीब आया था

पूछता फिरता था क्या उन में छुपा है कोई

तुम यूँही वक़्त गँवाने पे तुले हो 'आबिद'

कभी पानी पे भला नक़्श बना है कोई

(1188) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jab Se Alfaz Ke Jangal Mein Ghira Hai Koi In Hindi By Famous Poet Abid Almi. Jab Se Alfaz Ke Jangal Mein Ghira Hai Koi is written by Abid Almi. Complete Poem Jab Se Alfaz Ke Jangal Mein Ghira Hai Koi in Hindi by Abid Almi. Download free Jab Se Alfaz Ke Jangal Mein Ghira Hai Koi Poem for Youth in PDF. Jab Se Alfaz Ke Jangal Mein Ghira Hai Koi is a Poem on Inspiration for young students. Share Jab Se Alfaz Ke Jangal Mein Ghira Hai Koi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.