अभिषेक शुक्ला कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अभिषेक शुक्ला
नाम | अभिषेक शुक्ला |
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अंग्रेज़ी नाम | Abhishek Shukla |
जन्म की तारीख | 1985 |
जन्म स्थान | Lucknow |
ये जो हम तख़्लीक़-ए-जहान-ए-नौ में लगे हैं पागल हैं
ये जो दुनिया है इसे इतनी इजाज़त कब है
ये इम्तियाज़ ज़रूरी है अब इबादत में
वो एक दिन जो तुझे सोचने में गुज़रा था
वहाँ पहले ही आवाज़ें बहुत थीं
उस से कहना की धुआँ देखने लाएक़ होगा
तेरी आँखों के लिए इतनी सज़ा काफ़ी है
शब भर इक आवाज़ बनाई सुब्ह हुई तो चीख़ पड़े
सफ़र के बाद भी ज़ौक़-ए-सफ़र न रह जाए
मक़ाम-ए-वस्ल तो अर्ज़-ओ-समा के बीच में है
मैं सोचता हूँ बहुत ज़िंदगी के बारे में
मैं चोट कर तो रहा हूँ हवा के माथे पर
कभी कभी तो ये वहशत भी हम पे गुज़री है
हमीं जहान के पीछे पड़े रहें कब तक
सुर्ख़ सहर से है तो बस इतना सा गिला हम लोगों का
सफ़र के बा'द भी ज़ौक़-ए-सफ़र न रह जाए
लहर का ख़्वाब हो के देखते हैं
ख़ला के जैसा कोई दरमियान भी पड़ता
हम ऐसे सोए भी कब थे हमें जगा लाते
फ़सील-ए-जिस्म गिरा दे मकान-ए-जाँ से निकल
दर-ए-ख़याल भी खोलें सियाह शब भी करें
चलते हुए मुझ में कहीं ठहरा हुआ तू है
अभी तो आप ही हाइल है रास्ता शब का
अब इख़्तियार में मौजें न ये रवानी है