Ghazals of Abdussamad ’Tapish’
नाम | अब्दुस्समद ’तपिश’ |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdussamad ’Tapish’ |
ताज़ा-दम जवानी रख
पत्ते पत्ते से नग़्मा-सरा कौन है
ख़ौफ़-ओ-वहशत बर-सर-ए-बाज़ार रख जाता है कौन
जिस्म के मर्तबान में क्या है
जफ़ा के ज़िक्र पे वो बद-हवास कैसा है
गरचे नेज़ों पे सर है
एक भी चैन का बिस्तर नहीं होने देता
देख कर मेरी अना किस दर्जा हैरानी में है
अगर वो बे-अदब है बे-अदब लिख
अभी तक हौसला ठहरा हुआ है
आँख थी सूजी हुई और रात भर सोया न था