Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_aeade8b0431077b8c749211fbc36080c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बुत यहाँ मिलते नहीं हैं या ख़ुदा मिलता नहीं - अब्दुल्लतीफ़ शौक़ कविता - Darsaal

बुत यहाँ मिलते नहीं हैं या ख़ुदा मिलता नहीं

बुत यहाँ मिलते नहीं हैं या ख़ुदा मिलता नहीं

अज़्म मुस्तहकम तो हो दुनिया में क्या मिलता नहीं

हम-सफ़ीरान-ए-जुनूँ यूँ हम से आगे बढ़ गए

क़ाफ़िला क्या है ग़ुबार-ए-क़ाफ़िला मिलता नहीं

अपनी सूरत देखना हो अपने दिल में देखिए

दिल सा दुनिया में कोई भी आइना मिलता नहीं

दे दिया है आप को दिल अब हिफ़ाज़त कीजिए

हर ख़ज़ाने में ये ला'ल-ए-बे-बहा मिलता नहीं

ढूँढता फिरता है मुझ को क्यूँ फ़रेब-ए-रंग-ओ-बू

मैं वहाँ हूँ ख़ुद जहाँ अपना पता मिलता नहीं

(1030) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

But Yahan Milte Nahin Hain Ya KHuda Milta Nahin In Hindi By Famous Poet Abdullateef Shauq. But Yahan Milte Nahin Hain Ya KHuda Milta Nahin is written by Abdullateef Shauq. Complete Poem But Yahan Milte Nahin Hain Ya KHuda Milta Nahin in Hindi by Abdullateef Shauq. Download free But Yahan Milte Nahin Hain Ya KHuda Milta Nahin Poem for Youth in PDF. But Yahan Milte Nahin Hain Ya KHuda Milta Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share But Yahan Milte Nahin Hain Ya KHuda Milta Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.