Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9cfef582a9ad724ec050bbef7a76c9cc, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
क़दम क़दम पे नया इम्तिहाँ है मेरे लिए - अब्दुल्लाह कमाल कविता - Darsaal

क़दम क़दम पे नया इम्तिहाँ है मेरे लिए

क़दम क़दम पे नया इम्तिहाँ है मेरे लिए

ये शहर आज भी इक हफ़्त-ख़्वाँ है मेरे लिए

नहीं है अब कोई एहसास-ए-रोज़-ओ-शब भी मुझे

बस एक अर्सा-ए-पैकार-ए-जाँ है मेरे लिए

न रहगुज़ार-ए-शजर-ए-दार है न आब-ओ-सहाब

ये तेज़ धूप ये सहरा-ए-जाँ है मेरे लिए

मैं इक सितारा हूँ उस के फ़लक से टूटा हुआ

वो धुँद होती हुई कहकशाँ है मेरे लिए

समेट लेती है मुझ को मैं टूटा-फूटा सही

ये रात ख़िर्क़ा-ए-आवार्गां है मेरे लिए

महकते रहते हैं ख़्वाबों में हिजरतों के गुलाब

नई ज़मीन नया आसमाँ है मेरे लिए

उबूर करना है दरिया-ए-शोर मुझ को 'कमाल'

और एक कश्ती-ए-बे-बादबाँ है मेरे लिए

(1452) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Qadam Qadam Pe Naya Imtihan Hai Mere Liye In Hindi By Famous Poet Abdullah Kamal. Qadam Qadam Pe Naya Imtihan Hai Mere Liye is written by Abdullah Kamal. Complete Poem Qadam Qadam Pe Naya Imtihan Hai Mere Liye in Hindi by Abdullah Kamal. Download free Qadam Qadam Pe Naya Imtihan Hai Mere Liye Poem for Youth in PDF. Qadam Qadam Pe Naya Imtihan Hai Mere Liye is a Poem on Inspiration for young students. Share Qadam Qadam Pe Naya Imtihan Hai Mere Liye with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.