Heart Broken Poetry of Abdullah Kamal
नाम | अब्दुल्लाह कमाल |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdullah Kamal |
जन्म की तारीख | 1948 |
मौत की तिथि | 2010 |
जन्म स्थान | Mumbai |
वो निशाना भी ख़ता जाता तो बेहतर होता
सुलग रहा है कोई शख़्स क्यूँ अबस मुझ में
ख़ुश-शनासी का सिला कर्ब का सहरा हूँ मैं
वो शख़्स क्या है मिरे वास्ते सुनाएँ उसे
वादा-ए-वस्ल है लज़्ज़त-ए-इंतिज़ार उठा
उस की जाम-ए-जम आँखें शीशा-ए-बदन मेरा
क़दम क़दम पे नया इम्तिहाँ है मेरे लिए
इतना यक़ीन रख कि गुमाँ बाक़ी रहे
हसीन ख़्वाब न दे अब यक़ीन-ए-सादा दे
बड़ा मुख़्लिस हूँ पाबंद-ए-वफ़ा हूँ
अपने होने का इक इक पल तजरबा करते रहे