Love Poetry of Abdullah Javed

Love Poetry of Abdullah Javed
नामअब्दुल्लाह जावेद
अंग्रेज़ी नामAbdullah Javed

तुम अपने अक्स में क्या देखते हो

मंज़रों के भी परे हैं मंज़र

जब थी मंज़िल नज़र में तो रस्ता था एक

नंगे पाँव की आहट थी या नर्म हवा का झोंका था

लगे है आसमाँ जैसा नहीं है

कोई रिश्ता न हो फिर भी रिश्ते बहुत

जो गुज़रता है गुज़र जाए जी

जानिब-ए-दर देखना अच्छा नहीं

दुनिया ने जब डराया तो डरने में लग गया

चाँदनी रात में हर दर्द सँवर जाता है

चाँदनी का रक़्स दरिया पर नहीं देखा गया

चमका जो चाँद रात का चेहरा निखर गया

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