आप के जाते ही हम को लग गई आवारगी
आप के जाते ही हम से घर नहीं देखा गया
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Gulzar
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Habib Jalib
Anwar Masood
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1060) Peoples Rate This
कभी प्यारा कोई मंज़र लगेगा
साहिल पे लोग यूँही खड़े देखते रहे
याद यूँ होश गँवा बैठी है
अश्क ढलते नहीं देखे जाते
हर इक रस्ते पे चल कर सोचते हैं
ज़मीं को और ऊँचा मत उठाओ
चाँदनी का रक़्स दरिया पर नहीं देखा गया
रूह को क़ालिब के अंदर जानना मुश्किल हुआ
जो गुज़रता है गुज़र जाए जी
इक सैल-ए-बे-पनाह की सूरत रवाँ है वक़्त
कभी सोचा है मिट्टी के अलावा
देखते हम भी हैं कुछ ख़्वाब मगर हाए रे दिल